अचानक महाकुंभ से लौटीं लॉरेन पॉवेल, 10 दिन तक करना था प्रवास

Date: 2025-01-16
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एप्पल को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल महाकुंभ से अचानक लौट गई हैं। वो दस दिन के लिए यहां आईं थी, लेकिन तीन दिन में ही वापस चली गईं। लॉरेन पॉवेल को एलर्जी की दिक्कत हो गई थी। बताया जा रहा है कि जॉब्स अगले कुछ दिन भूटान में ही प्रवास करेंगी।

एप्पल के को फाउंडर और अरबपति कारोबारी स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स महाकुंभ में हिस्सा लेने के लिए पहुंचीं। उन्होंने निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि के शिविर में प्रवास किया। जॉब्स 13 जनवरी को प्रयागराज पहुंची थीं। 

मकर संक्रांति पर स्नान करने की भी उनकी इच्छा थी, लेकिन तबीयत खराब होने के कारण वह अमृत स्नान नहीं कर सकीं। बुधवार को उन्होंने अपने गुरु आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि से दीक्षा ली। लॉरेन पॉवेल को महाकाली के बीज मंत्र की दीक्षा दी गई है। वह ॐ क्रीं महाकालिका नमः का जाप करेंगी।

सनातन धर्म में गहरी रुचि रखती हैं पॉवेल
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि ने बताया कि सभी प्रश्न सनातन धर्म के इर्द-गिर्द घूमते हैं और उन्हें उत्तरों में बहुत खुशी और संतुष्टि मिलती हैं। लॉरेन की आध्यात्मिकता की खोज उन्हें महाकुंभ में ले आईं। यहां उनको नया नाम कमला दिया गया है। वह बहुत ही सरल, सौम्य हैं और यहां हैं। आध्यात्मिकता की उनकी खोज उन्हें यहां ले आई। जिस तरह से उन्होंने अखाड़े में खुद को संचालित किया है उससे यह स्पष्ट होता है कि दुनिया के सबसे अमीर और सबसे प्रसिद्ध लोगों में से एक होने के बावजूद, वह अहंकार रहित हैं और दिखावा नहीं करती हैं।

यहां वह सादे कपड़े पहनती हैं और आचरण करती हैं। वह लो प्रोफाइल रहती हैं। वह यहां हमारी शाश्वत और कालजयी सनातनी संस्कृति, सभी चेतनाओं के मूल को देखने आई हैं। वह यहां सनातनी आस्था के प्रहरियों, साधु-संतों से मिल रही हैं। पुरी ने कहा कि कहा कि लॉरेन पहली बार महाकुंभ में आई हैं।

काशी विश्वनाथ के कर चुकी हैं दर्शन
काशी विश्वनाथ के दर्शन करके महाकुंभ आई थीं। महाकुंभ में आने से पहले लॉरेन पॉवेल काशी विश्वनाथ के दर्शन किया। गंगा में नौकायन के बाद  सिर पर दुपट्टा डालकर बाबा विश्वनाथ के दरबार पहुंचीं। गर्भगृह के बाहर से ही बाबा का आशीर्वाद लिया। सनातन धर्म में गैर हिंदू शिवलिंग का स्पर्श नहीं करते, इस बात का ध्यान रखते हुए उन्होंने बाहर से ही दर्शन किया।

स्टीव जॉब्स ने लेटर लिखकर कुंभ में जाने में इच्छा जताई थी
मीडियो रिपोर्ट के मुताबिक, 1974 में एपल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने एक लेटर लिखा था। जिसमें उन्होंने भारत आने की इच्छा जताई थी। जॉब्स कुंभ मेला जाना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। माना जा रहा है कि अब उनकी वाइफ लॉरेन पॉवेल जॉब्स की इच्छा पूरी करने के लिए भारत आई हैं। वहीं स्टीव जॉब्स का लिखा ये लेटर 4.32 करोड़ रुपये में बिका है।

1932 के बाद प्रयागराज एयरपोर्ट से पहली बार उड़ी इंटरनेशनल फ्लाइट
वहीं, 93 वर्ष बाद बुधवार को प्रयागराज एयरपोर्ट से इंटरनेशनल फ्लाइट भी रवाना हुई। एयरपोर्ट से यह विमान अमेरिका की अरबपति महिला उद्यमी लॉरेन पॉवेल जॉब्स के लिए यहां पहुंचा। इस विमान ने लॉरेन पॉवेल को लेकर भूटान के लिए उड़ान भरी। आपको बता दें कि 1932 में प्रयागराज से लंदन के लिए विमान का संचालन हुआ था। अब महाकुंभ में इस बार कुछ देशों से प्रवासी भारतीय एवं विदेशी नागरिक विमान से सीधे प्रयागराज आ सकते हैं। इसी वजह से एयरपोर्ट पर पहली बार इमिग्रेशन विभाग के भी कर्मचारियों की तैनाती हुई है।

कर्मचारियों की नई टर्मिनल बिल्डिंग में हुई तैनाती
नई टर्मिनल बिल्डिंग में ही इनकी तैनाती महाकुंभ मेला अवधि के लिए की गई है। इसी बीच रॉयल भूटान एयरलाइंस का विमान बुधवार सुबह जब लैंड हुआ तो तमाम कर्मचारी उसे देख अचंभित हो गए। इसके आने की खबर चुनिंदा लोगों को ही थी। बाद में मालूम पड़ा कि उक्त विमान से लॉरेन पॉवेल जॉब्स को रवाना होना है। कुछ ही देर में लॉरेन पॉवेल जॉब्स एयरपोर्ट पहुंचीं। वहां एयरपोर्ट निदेशक मुकेश उपाध्याय से उनकी मुलाकात हुई। इमिग्रेशन विभाग की औपचारिकता पूरी होने के बाद लॉरेन पॉवेल का विमान प्रयागराज से सीधे भूटान के लिए रवाना हो गया।

1932 से पहले लंदन के लिए थी सीधी फ्लाइट
ब्रिटिश हुकूमत के दौरान प्रयागराज से इंटरनेशनल विमान संचालित हुआ करते थे। 1932 तक यहां से लंदन के लिए सीधी फ्लाइट थी। फिलहाल 93 वर्ष के अंतराल के बाद प्रयागराज एयरपोर्ट से बुधवार 15 जनवरी को इंटरनेशनल फ्लाइट संचालित हुई। हालांकि, इस विमान से सिर्फ लॉरेन पॉवेल जॉब्स और उनके कुछ सहयोगी ही रवाना हुए।

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