कैंसर वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य के लिए गंभीर चिंता का कारण बना हुआ है। साल-दर-साल इस रोग के मामले बढ़ते जा रहे हैं। पिछले एक-दो दशकों की तुलना में अब कैंसर को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है, मेडिकल क्षेत्र में नवाचार और तकनीकी विकास ने कैंसर के इलाज को अपेक्षाकृत आसान और सस्ता बना दिया है, फिर भी ज्यादातर लोगों के लिए ये बीमारी अभी भी बड़ी चिंता का कारण बनी हुई है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के विशेषज्ञों ने भारत में कैंसर के मामलों में 12% से 18% की वृद्धि होने का आशंका जताई है। भारत में कैंसर के मामले साल 2022 में 1.46 मिलियन (14.6 लाख) से बढ़कर 2025 में 1.57 मिलियन (15.7 लाख) होने का खतरा है। कैंसर के बढ़ते जोखिमों से बचाव को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को सावधान रहने की सलाह देते हैं।
दुनियाभर में कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसकी रोकथाम, पहचान और उपचार को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से हर साल 4 फरवरी विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। आइए दुनियाभर में कैंसर की चुनौतियों पर एक नजर डालते हैं।
दक्षिण पूर्व एशिया में बढ़े कैंसर के मामलेविश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ-एसईएआर) की क्षेत्रीय निदेशक साइमा वाजेद ने एक रिपोर्ट में बताया कि साल 2022 में दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में कैंसर के कई प्रकार के मामलों में वृद्धि देखी गई है। लगभग सभी आयुवर्ग वालों में होंठ और ओरल कैविटी, सर्वाइकल कैंसर सहित बच्चों में भी कैंसर के मामलों में उछाल दर्ज किया गया है। उन्होंने चिंता जताई है कि अगर यही गति जारी रहती है तो साल 2050 तक इस क्षेत्र में नए कैंसर के मामलों और इसके कारण मौत में 85 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है। साइमा वाजेद ने कहा, "इस वर्ष के विश्व कैंसर दिवस की थीम 'यूनाइटेड बाय यूनिक' है, जो कैंसर के खिलाफ सामूहिक प्रतिबद्धता की याद दिलाता है। हम सभी मिलकर ही इस गंभीर खतरे से बचाव कर सकते हैं।
इन कैंसर के मामलों में आया तेजी से उछाल
डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में कैंसर के 2.4 मिलियन (24 लाख) नए मामले दर्ज किए, जिनमें 56,000 बच्चे शामिल हैं। कैंसर के कारण 1.5 मिलियन (15 लाख) से अधिक मौतें भी हुई हैं। रिपोर्ट से पता चलता है कि अन्य क्षेत्रों की तुलना में दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में होंठ, मुंह, सर्वाइकल और बच्चों में कैंसर के मामले सबसे ज्यादा रिपोर्ट किए गए हैं।
अगले 25 साल में इस क्षेत्र में कैंसर के मामले और मृत्यु के जोखिमों में 85 फीसदी तक की वृद्धि होने को लेकर भी अलर्ट किया गया है।
दिल्ली स्थित पीएसआरआई अस्पताल में कंसल्टेंट मेडिकल ऑन्कोलॉजी डॉ. अमित उपाध्याय बताते हैं, तंबाकू और शराब से परहेज करने के अलावा जीवनशैली में बदलाव, संतुलित आहार और नियमित स्वास्थ्य जांच और जांच के जरिए कैंसर के जोखिम को कम किया जा सकता है। बदलती जीवनशैली, पर्यावरण क्षरण और जागरूकता की कमी के कारण भारत में नौ में से एक पुरुष और आठ में से एक महिला को कैंसर होने का जोखिम है।
लंग्स कैंसर के बढ़ते मामलों को लेकर भी अलर्टस्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दुनियाभर में बढ़ते लंग्स कैंसर के मामलों को लेकर भी चिंता जताई गई है। 4 फरवरी 2025 को द लैंसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में धूम्रपान न करने वालों में भी कैंसर के बढ़ते मामलों को लेकर अलर्ट किया गया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके लिए बढ़ता वायु प्रदूषण एक प्रमुख कारक हो सकता है। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) और विश्व स्वास्थ्य संगठन के शोधकर्ता ने पाया कि एडेनोकार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा, स्मॉल एंड लार्ज सेल कार्सिनोमा बड़ा खतरा बनता जा रहा है।
नॉन स्मोकर्स में बढ़ता लंग्स कैंसर का खतरा
आईएआरसी में कैंसर निगरानी शाखा के प्रमुख और अध्ययन के लेखक फ्रेडी ब्रे ने कहा, धूम्रपान के पैटर्न में बदलाव और वायु प्रदूषण के संपर्क में आना, ये दोनों ही लंग्स कैंसर के जोखिमों को बढ़ाते जा रहे हैं। फेफड़ों का कैंसर, कैंसर से संबंधित मौतों का प्रमुख कारण है। हालांकि चिंताजनक बात ये है कि कभी धूम्रपान न करने वाले लोगों में लंग्स, दुनियाभर में कैंसर से संबंधित मृत्यु दर का पांचवा प्रमुख कारण माना जाता है। साल 2022 में दुनियाभर में महिलाओं में फेफड़ों के कैंसर के 9.08 लाख नए मामले थे, जिनमें से 541 971 (59.7 प्रतिशत) एडेनोकार्सिनोमा थे। इसका जोखिम अब और भी बढ़ता हुआ देखा जा रहा है।