देश में हर तीन में से दो (66 फीसदी) ग्राहकों का मानना है कि बैंकों को धोखाधड़ी के शिकार लोगों का पैसा लौटाना चाहिए। वहीं, आधे से अधिक ग्राहक चाहते हैं कि बैंकों को धोखाधड़ी का पता लगाने और इस संबंध में चेतावनी जारी करने के लिए बेहतर सुरक्षा प्रणाली लागू करनी चाहिए। अमेरिका स्थित वैश्विक एनालिटिक्स सॉफ्टवेयर कंपनी एफआईसीओ की सर्वे रिपोर्ट में पाया गया है कि एक-तिहाई से अधिक (37 फीसदी) ग्राहक धोखाधड़ी का शिकार होने पर बैंकों को जिम्मेदार मानते हैं। यह सर्वे भारत सहित दुनिया के 14 देशों के 11,000 बैंक ग्राहकों से बातचीत पर आधारित है। इसमें ग्राहकों से भुगतान उपयोग, धोखाधड़ी और उनके बैंकों की घोटाला प्रबंधन क्षमताओं के बारे में पूछा गया था।
बैंक बदलने के पक्ष में ग्राहक
सर्वे में कहा गया है कि धोखाधड़ी के मामले में आधे से ज्यादा (56 फीसदी) भारतीय ग्राहक बैंक में शिकायत दर्ज कराएंगे। 30 फीसदी इस मामले को नियामकों तक पहुंचाने के पक्ष में हैं। अन्य तीन फीसदी ग्राहकों का कहना है कि धोखाधड़ी की स्थिति में वे बैंक ही बदल देंगे।
धोखेबाजों के खिलाफ लड़ाई में आगे आएं बैंकएफआईसीओ के एशिया में प्रबंध निदेशक दत्तू कोम्पेला ने कहा, धोखाधड़ी के बढ़ रहे मामलों को देखते हुए भारतीय ग्राहक उम्मीद करते हैं कि उनके बैंक ठगों के खिलाफ लड़ाई में आगे आएं। अपने ग्राहकों की गाढ़ी कमाई की सुरक्षा के लिए बैंक अपने सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाएं। - दत्तू ने कहा, ग्राहक जब किसी धोखाधड़ी या घोटाले से निपटने के तरीके से असंतुष्ट होते हैं, तो उनकी प्रतिक्रिया बैंकों के लिए वित्तीय और साख दोनों के लिहाज से महंगी पड़ सकती है।
87 फीसदी उपभोक्ता समाधान प्रक्रिया से संतुष्ट
आधे से ज्यादा ग्राहकों का कहना है कि धोखाधड़ी का बेहतर तरीके से पता लगाना और इस संबंध में चेतावनी जारी करना ऐसे प्रमुख कारक हैं, जिनसे बैंक उनकी सुरक्षा कर सकते हैं। हालांकि, 87 फीसदी ग्राहक धोखाधड़ी से जुड़ी समस्याओं के समाधान करने में बैंकों की प्रक्रिया से संतुष्ट हैं।