इन शहरों में हैं भारत के प्राचीन और प्रसिद्ध वटवृक्ष

Date: 2024-06-06
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इस वर्ष 6 जून को वट सावित्री व्रत की पूजा की जा रही है। वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलाओं का त्योहार है, जिसमें वह उपवास करती हैं और फिर वट वृक्ष की पूजा करके सदा सौभाग्यवती का आशीर्वाद मांगती हैं। इस व्रत को लेकर मान्यता है कि सावित्री ने अपने पति सत्यवान के जीवन के लिए यमराज की पूजा बरगद पेड़ के नीचे की थी। तब से सुहागिन अपने पति की लंबी आयु की कामना से बरगद यानी वटवृक्ष के नीचे पूजा करती हैं। 

गया का वट वृक्ष
बिहार के गया में प्राचीन, पवित्र पुनीत वट वृक्ष है, जिसे अक्षयवट कहा जाता है। यह अक्षयवट गया-बोधगया मार्ग पर स्थित माऊनपुर मोड़ से आधा किमी दूर है। इस स्थान पर एक तरफ गदालाल वेदी और दूसरी ओर माता मंगला गौरी का प्रसिद्ध मंदिर व भव्य कूट पर्वत है। कहा जाता है कि गया के अक्षयवट का उद्धार भगवान ब्रह्मा ने किया था और माता सीता ने इस वृक्ष को अक्षय होने का वरदान दिया था।
वृंदावन का वट वृक्ष
उत्तर प्रदेश के वृंदावन में यमुना किनारे दर्जन स्थित मध्य वंशीवट घाट है, जहां पर महान तरु के दर्शन हो सकते हैं। इस स्थान पर भी प्राचीन वटवृक्ष है। यहां पर श्रीमाधव का शास्त्रोमुक्त स्थान है। मान्यता है कि यहां वैष्णव संत चैतन्य महाप्रभु ने दर्शन किए थे।

प्रयागराज का वट वृक्ष
संगम नगरी प्रयागराज में त्रिवेणी संगम से थोड़ी दूरी पर अकबर-कालीन विशाल किले के अंदर विशाल वट वृक्ष है, जिसे मनोरथ वट कहा जाता है। उत्तरकालीन पुराणों में प्रयाग के इस मनोरथ वट का उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि पहले किले की पातालपुरी गुफा में एक सूखी डाली गाड़कर उसमें कपड़ा लपेट के अक्षयवट के रूप में पूजा होती थी, लेकिन बाद में यमुना किनारे इस की मूल स्थिति का ज्ञान हुआ। महापुण्यकारी इस वट वृक्ष के दर्शन चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी किया था।

पुरी का वटवृक्ष
जगन्नाथ पुरी में प्राचीन काल में नीलांचल पर्वत पर सबकी इच्छा पूर्ण करने वाला कल्पतरु है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी वनवास के दौरान कुछ समय के लिए यहां रहे थे। इस कारण इस स्थान को वनस्थली भी कहा जाता है।

पंचवटी
पंचवटी वह स्थान होता है, जहां पीपल, बेल, वट, हड़ और अशोक ये पांच वृक्ष लगे होते हैं। छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य क्षेत्र में भी एक पंचवटी स्थित है, जो जगदलपुर से 62 किमी दूरी पर है। यहां स्थित वटवृक्ष भी काफी प्राचीन और प्रसिद्ध है।

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