कैराना सीट पर संग्राम के लिए बिछने लगी बिसात, बड़ी तैयारी में पार्टियां, दिलचस्प है इस लोकसभा का इतिहास

Date: 2024-02-09
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रालोद सुप्रीमो चौधरी जयंत सिंह के भाजपा से गठबंधन की चर्चाओं के बीच कैराना संसदीय क्षेत्र एक बार फिर सुर्खियों में आने लगा है। तमाम बड़ी पार्टियों समेत छोटे दलों ने भी सियासी संग्राम के लिए बिसात बिछानी शुरू कर दी है। वर्ष 1962 में अस्तित्व में आई इस सीट पर महामुकाबले के लिए सियासी जगत में बड़े स्तर पर तैयारी चल रही है।

आंकड़ों के अनुसार, अब तक इस सीट पर तीन बार भाजपा, दो बार कांग्रेस और तीन बार रालोद ने जीत दर्ज की है। बसपा और सपा ने एक-एक बार जीत का स्वाद चखा है। जनता दल और जनता पार्टी ने दो-दो बार परचम फहराया। वर्तमान में इस सीट पर भाजपा सांसद प्रदीप चौधरी काबिज हैं। अब देखना यह है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में ऊंट किस करवट बैठता है।

शामली में एक दौर था जब देश में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी अहम मुकाबले में होते थे। कैराना संसदीय क्षेत्र भी इसका गवाह है, क्योंकि यहां लोकसभा चुनाव में कभी कांग्रेस प्रत्याशी जीता तो कभी दूसरे नंबर पर रहा। हालांकि, 1989 के बाद कांग्रेस प्रत्याशी अहम मुकाबले में भी नहीं आ सका।

यहां 1984 में कांग्रेस के टिकट पर चौधरी अख्तर हसन सांसद चुने गए थे, जिसके बाद फिर कभी कांग्रेस को इस सीट पर चुनाव जीतने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हो सका है। कैराना लोकसभा सीट पर अब तक 16 बार चुनाव हो चुके हैं। इस सीट के सबसे पहले सांसद 1962 में यशपाल सिंह बने थे, जो निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े थे। इसके बाद वर्ष 1967 में संयुक्त स्पेशलिस्ट पार्टी के गय्यूर अली सांसद बने। 1971 के चुनाव में शफक्कत जंग कांग्रेस टिकट पर सांसद बने। इसी दौरान चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस का विपक्षी मोर्चा खड़ा हो गया था, जिसके चलते 1980 के चुनाव में चौधरी चरण सिंह की पत्नी गायत्री देवी 2,03242 वोट लेकर जनता पार्टी (एस) के टिकट पर कैराना लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बन गई थीं।

वहीं, 1984 में एक बार फिर से कांग्रेस में जान पड़ी और कांग्रेस प्रत्याशी चौधरी अख्तर हसन कैराना सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। वर्ष 1989 और 1991 में जनता दल से हरपाल पंवार ने भी जीत दर्ज की। इसके बाद ही कांग्रेस का ग्राफ गिरना प्रारंभ हो गया था। 1989 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बशीर अहमद दूसरे नंबर पर रहे थे, लेकिन उसके बाद हुए सात चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी अहम मुकाबले में भी नहीं आ सके।

बीते चुनावों में जीत हार के आंकड़ों पर गौर करें तो 1991 के बाद जितने भी चुनाव हुए, उनमें से 2004 के चुनाव को छोड़कर बाकी सभी चुनाव में भाजपा मुकाबले में ही रही। 1991 और 1996 में भाजपा प्रत्याशी उदयवीर सिंह दूसरे नंबर पर रहे थे तो 1998 में भाजपा प्रत्याशी वीरेंद्र वर्मा ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1999 में भाजपा प्रत्याशी निरंजन सिंह, 2009 में हुकुम सिंह दूसरे नंबर पर रहे थे। फिर 2014 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी हुकुम सिंह कैराना सीट से सांसद चुने गए। वर्ष 2019 में भाजपा से सांसद प्रदीप चौधरी सांसद चुने गए।

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