कोवाक्सिन पर बीएचयू के अध्ययन से ICMR ने किया किनारा

Date: 2024-05-20
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एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन (भारत में कोविशील्ड) के दुष्प्रभाव सामने आने के बाद से अन्य टीकों को लेकर भी लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं। कोविशील्ड को लेकर सामने आई रिपोर्ट के बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में कोवाक्सिन के कारण होने वाले साइड-इफेक्ट्स को लेकर भी लोगों को सावधान किया गया है। हालांकि अब इस अध्ययन को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है।

सोमवार को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने बीएचयू के अध्ययन पर एतराज जताते हुए कहा है कि हमें इस  खराब डिजाइन वाले अध्ययन से न जोड़ा जाए।
 
एनआई की रिपोर्ट के मुताबिक आईसीएमआर के महानिदेशक ने कहा आईसीएमआर को इस खराब डिजाइन वाले अध्ययन से नहीं जोड़ा जा सकता है, जिसका उद्देश्य कोवाक्सीन का 'सुरक्षा विश्लेषण' प्रस्तुत करना है। इतना ही नहीं उन्होंने पेपर के लेखकों और पत्रिका के संपादक को एक पत्र लिखकर कहा है कि इससे आईसीएमआर का नाम हटा दिया जाए और इस संबंध में शुद्धि-पत्र भी प्रकाशित किया जाए।

आईसीएमआर ने उठाए सवाल
आईसीएमआर ने बीएचयू के इस अध्ययन की खराब कार्यप्रणाली और डिजाइन पर भी सवाल उठाए हैं।

गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में, बीएचयू के शोधकर्ताओं की एक टीम ने भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोवाक्सिन पर एक साल के अध्ययन की रिपोर्ट पेश की थी। अध्ययन के अनुसार, कोवाक्सिन टीका प्राप्त करने वाले लगभग एक-तिहाई लोगों ने एडवर्स इवेंट ऑफ सोशल इवेंट (एईएसआई) की शिकायत की थी। एईएसआई प्रतिकूल घटनाओं को संदर्भित करता है। अध्ययन में रेखांकित किया गया है कि अधिकांश एईएसआई के मामलो को लेकर विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है।

बीएचयू के अध्ययन में क्या पता चला?
बीएचयू में शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा एक साल के अनुवर्ती अध्ययन के अनुसार, भारत बायोटेक की वैक्सीन कोवाक्सिन प्राप्त करने वाले लगभग एक-तिहाई लोगों एक साल बाद तक कई दुष्प्रभावों की शिकायत की है। 926 प्रतिभागियों पर किए गए अध्ययन में लगभग 50 प्रतिशत ने शोध की अवधि के दौरान भी संक्रमण की शिकायत की। 10.5 प्रतिशत लोगों में त्वचा से संबंधित समस्या, 10.2 प्रतिशत में सामान्य विकार और 4.7 प्रतिशत में तंत्रिका से संबंधित समस्याएं देखी गईं।

एस्ट्राजेनेका के बयान से शुरू हुआ था वैक्सीन 
कोविड टीकों के लेकर सवाल-जवाब का मामला तब शुरू हुआ जब ब्रिटेन की अदालत में वैक्सीन निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया है कि उसकी वैक्सीन दुर्लभ स्थितियों में थ्रोम्बोसिस विद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) नामक समस्या का कारण बन सकती है। टीटीएस रक्त का थक्का बनाने वाली समस्या है जिसके कारण हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है।
इसी क्रम में बीएचयू ने अपने अध्ययन की रिपोर्ट में कहा था कि कोविशील्ड ही नहीं कोवाक्सिन भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। इसके कारण भी लोगों में कई प्रकार की दिक्कतें देखीं जा रही हैं। 

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