सपा से गठबंधन टूटने के बाद पल्लवी के सामने है ये चुनौती, बहन का कद बढ़ा, लेकिन उन्हें न मिल पाई सफलता

Date: 2024-03-23
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अपना दल (कमेरावादी) का सफर एक बार फिर से उसी स्थान पर आकर अटकता दिख रहा है, जहां से पार्टी की शुरुआत हुई थी। सपा से रिश्ता टूटने के बाद अब अपना दल (क) के सामने फिर से वजूद बचाए रखने चुनौती है। 
चुनावी मौसम में ऐन मौके पर सपा के झटके से दल की नेता पल्लवी पटेल की विधायकी पर जहां तलवार लटकी है, वहीं सियासत की जंग में फिर से पहचान बनाने के लिए उन्हें अब किसी नए साथी को भी तलाशना होगा।

अपना दल 1995 में स्थापित हुआ। संस्थापक डॉ. सोनेलाल पटेल के निधन के बाद से विरासत की लड़ाई को लेकर पल्लवी पटेल और उनकी मां कृष्णा पटेल ने लंबा संघर्ष किया है। 

पहले तो परिवार में ही असली-नकली वारिस को लेकर लंबा संघर्ष किया, इसके बाद सियासी दल को लेकर बड़ी बहन पल्लवी पटेल और छोटी बहन अनुप्रिया पटेल के बीच करीब पांच वर्षों तक जंग चली । मामला कोर्ट तक भी पहुंचा। 

यह लड़ाई अपना दल के दो धड़ों में बंटने के बाद ही खत्म हुई। दो धड़े में बंटे अपना दल (सोनेलाल) की अगुवाई अनुप्रिया पटेल ने संभाली तो दूसरा धड़ा अपना दल (कमेरावादी) की कमान सोनेलाल की पत्नी कृष्णा पटेल और पल्लवी पटेल ने संभाली।

जब कांग्रेस के टिकट पर उतरीं कृष्णा
मां-बेटी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से गठजोड किया। अपनी पार्टी का अध्यक्ष होने के बावजूद कृष्णा पटेल को कांग्रेस के सिंबल पर गोंडा से चुनाव मैदान में उतरना पड़ा, लेकिन वह हार गईं। इस चुनाव में कृष्णा पटेल को मात्र 25,686 (2.78 प्रतिशत) वोट ही मिले और वह तीसरे स्थान पर रहीं। 

इसी चुनाव में पार्टी ने पल्लवी पटेल के पति पंकज पटेल को भी कांग्रेस के ही सिंबल पर प्रयागराज के फूलपुर सीट से चुनाव लड़ाया था, लेकिन इस कुर्मी बहुल सीट पर भी पंकज को मात्र 32,761 (3.35 प्रतिशत) वोट ही मिले। कृष्णा पटेल सोनेलाल के निधन के बाद कानपुर से लोकसभा और विधानसभा के कई चुनाव में उतर चुकी हैं, लेकिन एक बार भी उन्हें सफलता नहीं मिली।
 

बढ़ा अनुप्रिया का कद
इसका असर यह रहा कि पिछले करीब एक दशक से अपनी अलग सियासी पहचान बनाने को लेकर संघर्ष करने वाला अपना दल (कमेरावादी) लंबी लड़ाई के बाद भी जूझता ही रहा। उधर भाजपा के साथ जाकर अनुप्रिया पटेल ने अपना दल (सोनेलाल) का कद उसकी तुलना में काफी बढ़ा लिया। दो सांसद और 13 विधायकों वाले दल की नेता की तौर पर अनुप्रिया 2014 से ही केंद्र में मंत्री हैं।

विधानसभा चुनाव में सिर्फ पल्लवी जीत सकीं
पल्लवी ने भी अपने दल को स्थापित करने के लिए कई प्रयोग किए, लेकिन सफलता दूर ही रही। 
इस प्रयोग के तहत ही पल्लवी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन किया। सपा ने अपना दल (कमेरावादी) को समझौते में कुल 6 सीटें दीं, जिसमें सिराथू के अलावा पिंडरा, रोहनियां, प्रतापगढ़ सदर, मड़िहान और घोरावल शामिल थी। इसमें से सिराथू सीट पर सपा ने पल्लवी पटेल को अपने ही सिंबल पर लड़ाया था। जबकि प्रतापगढ़ सदर सीट से कृष्णा पटेल व अन्य सभी प्रत्याशी अपना दल (कमेरावादी) के सिंबल पर चुनाव लड़े थे। पल्लवी के अलावा उनकी पार्टी का कोई भी प्रत्याशी नहीं जीत पाया।

सपा से चुनाव जीतने के बाद अपना दल (कमेरावादी) थोड़ा खड़ा होना शुरू ही किया था कि सपा ने रिश्ता तोड़कर उसको फिर उसी संघर्ष के रास्ते पर ला खड़ा कर दिया है, जिस रास्ते से चलकर वह यहां तक पहुंचा था। अब देखना है कि बदले सियासी परिवेश में मां-बेटी अपने दल के सियासी अस्तित्व की लड़ाई को किस हद तक ले जाती हैं और नया साथी किसे बनाती हैं।

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