ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारत की खोज बने नीतीश रेड्डी

Date: 2024-12-28
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मेलबर्न में जारी बॉक्सिंग डे टेस्ट में नीतीश रेड्डी ने अंतरराष्ट्रीय और टेस्ट करियर का पहला अर्धशतक लगाया। उन्होंने 81 गेंद में अर्धशतक पूरा किया। नीतीश इस ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारत की खोज रहे हैं और उन्होंने क्या शानदार बल्लेबाजी की है। सिर्फ बल्ले से ही नहीं, गेंद से भी उनका प्रदर्शन ठीक ठाक रहा है। उन्होंने तीन विकेट भी लिए हैं। मेलबर्न टेस्ट से पहले भी नीतीश ने अच्छी बल्लेबाजी की थी, लेकिन अर्धशतक से चूक गए थे, लेकिन यहां न सिर्फ उन्होंने अर्धशतक लगाया, बल्कि भारत को मुश्किल स्थिति से भी निकाला और फॉलोऑन से बचाया। 

नीतीश की तकनीक न सिर्फ तेज गेंदबाजों के खिलाफ बल्कि स्पिनर्स के खिलाफ भी सॉलिड दिखी है। वह भारत के नए स्टार बनकर उभरे हैं। नीतीश अभी महज 21 साल के हैं और इस उम्र में ऑस्ट्रेलिया जाकर उछाल भरी पिच पर ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों को मैच्योरिटी के साथ खेलकर उन्होंने बताया है कि आगे आने वाले समय में वह हर चुनौती के लिए तैयार हैं। इस दौरान उनके शरीर पर भी कई गेंदें लगीं, चोट खाईं, लेकिन हार नहीं मानी। इसका गवाह उनका जश्न है, जो उन्होंने अर्धशतक लगाने के बाद मनाया। नीतीश ने अर्धशतक लगाने के बाद 'पुष्पा' फिल्म में अल्लू अर्जुन का मशहूर 'झुकेगा नहीं' वाले अंदाज में मनाया। उन्होंने बल्ले के साथ ऐसा किया।

नीतीश अपनी पिछली छह पारियों में से तीन पारियों में भारत के लिए शीर्ष स्कोरर रहे हैं। उनके मौजूदा प्रदर्शन को देखते हुए माना जा रहा है कि भारत को टेस्ट क्रिकेट में हार्दिक पांड्या का विकल्प मिल गया है। 31 वर्षीय ऑलराउंडर हार्दिक ने भारत के लिए अपना आखिरी टेस्ट मुकाबला 2018 में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था, तब से वह इस प्रारूप में खेलते नहीं दिखे हैं। भारतीय टीम पिछले छह वर्षों से एक ऐसे तेज गेंदबाज ऑलराउंडर की तलाश में थी जो टेस्ट क्रिकेट में उनकी कमी पूरी कर सके। हार्दिक ने भारत के लिए खेले 11 टेस्ट मैचों में एक शतक और चार अर्धशतकों की सहायता से 532 रन बनाए। उनका औसत 31.29 का रहा। अब हार्दिक टी20 और वनडे प्रारूप में ही खेलते दिखते हैं।

वहीं, नीतीश रेड्डी को इसी सीरीज में भारत के लिए लाल गेंद प्रारूप में डेब्यू का मौका मिला। उन्होंने इस मौके का भरपूर फायदा उठाया और अपने प्रदर्शन से अलग पहचान स्थापित की। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट में इस 21 वर्षीय बल्लेबाज ने 41 और 38* रन बनाए। वहीं, एडिलेड में खेले गए दूसरे मुकाबले में उन्होंने दोनों पारियों में 42-42 रन बनाए। गाबा में तीसरे टेस्ट की पहली पारी में उन्होंने 16 रन बनाए थे, जबकि दूसरी पारी मे उनकी बल्लेबाजी नहीं आई थी। अब मेलबर्न में अर्धशतक लगाकर उन्होंने साबित कर दिया है कि वह बल्लेबाजी क्रम में ऊपर आने को भी तैयार हैं।

एकतरफ विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे दिग्गज भारतीय बल्लेबाज इस पिच पर रन के लिए जूझते दिखे, वहीं नीतीश ने पैट कमिंस, मिचेल स्टार्क और स्कॉट बोलैंड जैसे गेंदबाजों की जमकर धुनाई की। मेलबर्न में जब नीतीश बल्लेबाजी के लिए उतरे तो भारत का स्कोर छह विकेट पर 191 रन था। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और पहले टीम को 275 रन तक पहुंचाकर भारत को फॉलोऑन से बचाया, फिर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लीड कम की। नीतीश अब तक इस सीरीज में चार मैचों में 264 रन (85* रन तक) बना चुके हैं।

नीतीश रेड्डी अपना नाम इतिहास के पन्नों में पहले ही दर्ज करा चुके हैं। वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट में आठ छक्के लगाने वाले पहले खिलाड़ी बन गए। किसी भी अन्य भारतीय खिलाड़ी ने ऑस्ट्रेलिया में किसी तेज गेंदबाज के खिलाफ इससे से ज्यादा छक्के नहीं लगाए हैं। इतना ही नहीं, वह नंबर सात या इससे नीचे क्रम पर बल्लेबाजी करने वाले भारतीय खिलाड़ियों में ऑस्ट्रेलिया में एक टेस्ट सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले शीर्ष तीन खिलाड़ियों में शामिल हो गए हैं। इस लिस्ट में ऋषभ पंत 350 रन के साथ शीर्ष पर हैं। फिर 276 रन के साथ सैयद किरमानी और तीसरे स्थान पर नीतीश हैं।

नीतीश शुरुआती दिनों में इस खेल के प्रति गंभीर नहीं थे, लेकिन एक दिन उन्होंने आर्थिक तंगी से जूझ रहे अपने पिता की आंखों में आंसू देखे। बस इसके बाद उन्होंने कुछ करने की ठानते हुए इस खेल को अपना लिया। उन्होंने क्रिकेटर बनने के लिए खूब मेहनत की। उनकी यह मेहनत आईपीएल में रंग लाई और उन्हें पर्थ में भारत के लिए पहला टेस्ट खेलने का मौका मिला।

बीसीसीआई ने हाल ही में एक वीडियो जारी किया था जिसमें नीतीश ने बताया, 'अगर ईमानदारी से कहूं तो जब मैं छोटा था तो क्रिकेट के प्रति गंभीर नहीं था। पिता ने मेरे लिए अपनी नौकरी छोड़ दी। मेरी सफलता के पीछे उनका बहुत बड़ा त्याग छुपा है। हम लोग उस दौरान आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे। मुझे लगा, मैं ऐसा नहीं हो सकता हूं, मेरे पिता त्याग कर रहे हैं और मैं सिर्फ मजे के लिए क्रिकेट खेल रहा हूं। उस समय मैं क्रिकेट के प्रति गंभीर हुआ और खूब मेहनत की। इसके बाद मैं सफलता की सीढि़यां चढ़ता गया। एक मध्यम वर्गीय परिवार से होने के नाते, मुझे गर्व है कि मैं अपने पिता को खुश कर पाया। मैंने जब अपनी पहली जर्सी अपने पिता को दी तो उनके चेहरे पर खुशी देखते बनती थी।'

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