आईआईएमसी वीसी भर्ती चयन प्रक्रिया में बदलाव को लेकर विवाद

Date: 2024-12-28
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प्रोफेसर डॉ. आशुतोष मिश्रा ने राष्ट्रीय राजधानी में भारतीय जनसंचार संस्थान के कुलपति की भर्ती प्रक्रिया के मानदंडों में बदलाव का आरोप लगाया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में नई दिल्ली स्थित भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) को 'मानद विश्वविद्यालय' का दर्जा दिया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने केंद्र को आईआईएससी को डीम्ड विश्वविद्यालय बनाने की सलाह दी थी।

मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया कि आईआईएमसी-नई दिल्ली और जम्मू, अमरावती (महाराष्ट्र), आइजोल (मिजोरम), कोट्टायम (केरल) और ढेंकनाल (ओडिशा) के पांच क्षेत्रीय परिसर अलग श्रेणी के तहत सम-विश्वविद्यालय संस्थान होंगे।

प्रोफेसर डॉ. आशुतोष मिश्रा के अनुसार, अधिकारी अभी भी अपने नए कुलपति की प्रस्तावित की पात्रता और अनुभव संबंधी शर्तों को आगे बढ़ा रहे हैं और उन्हें काफी हद तक कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं।

क्या है उनका आरोप? 
आशुतोष मिश्रा ने कहा है कि, वे कुलपति के लिए यूजीसी के मानदंडों की अनदेखी कर रहे हैं, जो पीएचडी करने के साथ प्रोफेसर के रूप में 10 से साल है।

आगे उन्होंने कहा, यूजीसी और उच्च शिक्षा मंत्रालय के साथ-साथ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से आग्रह किया कि वे इस कदम पर ध्यान दें और कुलपति पद की गरिमा को कम करने के इस तरह के कदम को रोकने का अनुरोध किया गया है। शैक्षणिक संस्थानों/विश्वविद्यालयों के मानकों को बनाए रखने के लिए योग्यता और अनुभव यूजीसी के मानदंडों के अनुसार होना चाहिए।

उन्होंने आशंका जताते हुए कहा, कि आईआईएमसी के कुलपति के लिए मानदंडों में बदलाव पर सदस्यों (48) द्वारा मतदान, सहमति, आपत्ति करने से परहेज कर रहा है या कर चुका है। इसके साथ ही अपनी सोसायटी के माध्यम से अनुमोदित करवा रहा है।

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