कोरोना में निकली उम्र तो कोच बन रोहित निखार रहे युवाओं का कौशल

Date: 2024-08-29
news-banner
कोरोना काल में शूटिंग की उम्र निकलने के बाद निशानेबाज रोहित अब दिल्ली-एनसीआर के ग्रामीण क्षेत्रों से मनु भाकर सरीखे खिलाड़ी तैयार कर रहे हैं। उनकी कोशिश युवाओं के अंदर छिपी प्रतिभा को निखार कर ओलंपिक स्तर का निशानेबाज तैयार करने की है। इस वक्त 12 राष्ट्रीय खिलाड़ी इनसे कोचिंग ले रहे हैं। दिलचस्प यह कि रोहित की टीम में सामान्य शूटर के साथ-साथ पैरा शूटर (दिव्यांग) खिलाड़ी भी हैं। उनकी एक पैरा खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक पर निशाना भी लगा चुकी हैं।

राष्ट्रीय खिलाड़ी बनने के बाद कोच बने रोहित बताते हैं कि जब वह दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे थे, तब उन्होंने शूटिंग का प्रशिक्षण लेना शुरू किया। इसके बाद उनका एनसीसी की टीम में 50 मीटर शूटिंग स्पर्धा में चयन हुआ। लेकिन, कोरोना काल में खेल गतिविधियां बंद होने से उनकी उम्र निकल गई। इससे वह आगे का सफर पूरा नहीं कर सके। इसके बाद उन्होंने कोच बनने की राह चुनी। वह पंजाबी बाग क्लब में शूटिंग का प्रशिक्षण दे रहे हैं। इसी बीच चेहरे पर हल्की सी मुस्कान लिए वह बताते हैं कि उनका सपना देश के लिए पदक लाना है।

2028 पैरालंपिक की तैयारी कर रही हूं : कविता रानी  
रोहतक निवासी अंतरराष्ट्रीय पैरा राइफल शूटर कविता रानी पांचाल बताती हैं कि वह कोच रोहित के नेतृत्व में 2028 में होने वाले पैरालंपिक की तैयारी कर रही हैं। उन्होंने बताया कि वह अब तक हरियाणा राज्य में शूटिंग में दो गोल्ड पदक जीत चुकी हैं। जबकि वर्ल्ड कप शूटिंग में भी अपना दमखम दिखा चुकी हैं। वह कहती हैं कि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हैं। ऐसे में शुभम गुप्ता और कोच रोहित उन्हें रेंज में निशुल्क प्रशिक्षण दे रहे हैं।

शूटिंग में आगे आ रहीं महिलाएं  
पेरिस ओलंपिक में शूटिंग में पदक आने के बाद महिलाओं में शूटिंग को लेकर उत्साह बढ़ा है। कोच रोहित बताते हैं कि उनके पास पहले महीने में 30 से 35 कॉल शूटिंग प्रशिक्षण को लेकर आती थीं। लेकिन, मनु भाकर के पदक जीतने के बाद रोजाना 15 से 20 कॉल्स प्राप्त हो रही हैं। वह बताते हैं कि इनमें भी महिलाओं की संख्या अधिक है। आरके पुरम में रहने वाली प्रियंका जोशी बताती हैं कि वह बीते छह माह से शूटिंग का प्रशिक्षण ले रही हैं। वह कहती हैं कि यह खेल महंगा है। इसकी एक बुलेट कम से कम 25 रुपये की पड़ती है। वहीं, एक एयर पिस्टल की कीमत डेढ़ से दो लाख रुपये की है।

निशुल्क दे रहे शूटरों को प्रशिक्षण
कोच रोहित बताते हैं कि संसाधनों के अभाव से ग्रामीण क्षेत्र से आने वाली प्रतिभाओं को मायूस होना पड़ता है। एक खिलाड़ी के लिए यह सबसे बुरा दौर होता है। शूटिंग में प्रतिदिन औसत खर्च चार से पांच हजार रुपये आता है। ऐसे में हर कोई खिलाड़ी इसका खर्च वहन नहीं कर पाता है। उन्होंने कहा कि अगर इन प्रतिभाओं का साथ दिया जाए तो ये भावी खिलाड़ी आगे चलकर शूटिंग से अपना और देश का नाम रोशन करेंगे।

Leave Your Comments