भोलेनाथ की भक्ति कांवड़ियों के पैरों के छाले में दर्द पर भारी पड़ रही है। प्रभु की भक्ति में डूबे शिवभक्त शिवालयों की तरफ बढ़ रहे हैं। सेवक जगह-जगह कांवड़ शिविरों में कांवड़ियों की सेवा को अपना शोभाग्य मानकर चल रहे हैं। शिविरों में सेवा करते हुए वीआईपी भी देखे जा रहे हैं।
गर्मी ने मंगलवार को सुबह 12 बजे के बाद कांवड़ियों के कदम रोक दिए। कांवड़ियों को शिविरों में विश्राम के लिए रुकना पड़ा। मेरठ के खिर्वा चौराहा के निकट कंकरखेड़ा व्यापार संघ की ओर से लगाए गए कांवड़ सेवा शिविर में दिल्ली यमुना किनारे मरघट वाले हनुमान मठ के मुख्य महंत वैभव शर्मा, सांसद अरुण गोविल, पूर्व विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल, कंकरखेड़ा व्यापार संघ अध्यक्ष नीरज मित्तल, भाजपा पूर्व महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंहल, रालोद नेता सुनील रोहटा कांवड़ियों का चिकित्सा उपचार करते मिले। इस दौरान गणेश अग्रवाल, नीरज जटौली, पं. संजय त्रिपाठी, ठा. ओपी सिंह, हेतराम शाक्य, सुनील शर्मा आदि कांवड़ियों को भोजन कराकर धर्म लाभ उठाया।
ये भी मान्यताएं
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कांवड़ के कुछ नियम होते हैं। पहला नियम यही है कि जिस परिवार से कोई व्यक्ति या महिला हरिद्वार या गंगोत्री से कांवड़ लेने जाते हैं तो उनके साथ-साथ पूरा परिवार नियमों का पालन करना होता है।
ऐसा कहा जाता है कि शिवभक्त द्वारा कांवड़ उठाने के बाद से परिवार में नियम लागू हो जाते हैं। उसी समय से तेल में तला भोजन बनना बंद हो जाता है। इतना ही नहीं घर की सफाई में झाडू का इस्तेमाल नहीं होता है।
थपकी से कपड़े धोने पर भी प्रतिबंध है। साथ ही घर में किसी जानवर या पशु को पीटना भी प्रतिबंधित माना जाता है। कहा जाता है कि अगर परिवार के किसी भी सदस्य ने नियमों का अनुपालन नहीं किया तो कांवड़ियों को मार्ग में परेशानियों से गुजरना पड़ता है। जैसे पैरों में छाले पड़ना, बदन में दर्द होना आदि मुख्य है।