मधुमेह को साइलेंट किलर बीमारियों के रूप में जाना जाता है, जिन लोगों को डायबिटीज की दिक्कत होती है उनमें कई प्रकार की क्रोनिक बीमारियों के बढ़ने का खतरा हो सकता है। अनियंत्रित ब्लड शुगर की स्थिति समय के साथ आंखों से लेकर किडनी, तंत्रिकाओं से संबंधित जटिलताओं के विकसित होने का जोखिमबढ़ाने वाली मानी जाती है।हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि डायबिटीज वाले लोगों में समय के साथ हृदय रोग होने का भी खतरा अधिक हो सकता है। विशेषतौर पर डायबिटिक महिलाओं में ये जोखिम और अधिक देखा जा रहा है। इसी से संबंधित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं सचेत किया है कि पुरुषों की तुलना में डायबिटीज की शिकार महिलाओं में हृदय रोगों के विकसित होने और इसके जटिल रूप लेने का खतरा 12 फीसदी तक अधिक हो सकता है।डायबिटीज यूके प्रोफेशनल कॉन्फ्रेंस (डीयूकेपीसी) में प्रस्तुत अध्ययन के निष्कर्ष में कहा गया है, टाइप-2 डायबिटीज वाली महिलाओं में बिना डायबिटीज वालों की तुलना में हृदय संबंधी जटिलताओं के विकसित होने का जोखिम 20 फीसदी अधिक हो सकता है। जो लोग डायबिटीज के शिकार हैं उन्हें हृदय की सेहत का भी विशेष ख्याल रखना चाहिए।
डायबिटीज रोगियों में हृदय की समस्याओं का जोखिम
डायबिटीज किस तरह से हृदय रोगों का कारण बनता है, पहले इसे समझना जरूरी है।
डॉक्टर बताते हैं, समय के साथ बढ़ा हुआ शुगर का लेवल कई अंगों के साथ-साथ रक्त वाहिकाओं और आपके दिल को नियंत्रित करने वाली नसों को भी नुकसान पहुंचाने लगता है। डायबिटिक न्यूरोपैथी के शिकार लोग, जिनमें नसें कमजोर हो जाती हैं, उनमें इस प्रकार का खतरा और अधिक हो सकता है। नसों की कमजोरी की स्थिति में, रक्तचाप बढ़ने पर धमनी की दीवारों को नुकसान पहुंच सकता है। डायबिटिक न्यूरोपैथी वालों में साइलेंट हार्ट अटैक जैसी समस्याओं का जोखिम भी काफी बढ़ जाता है।
क्या कहते हैं अध्ययनकर्ता?
मैनचेस्टर रॉयल इन्फर्मरी में प्रोफेसर मार्टिन रटर अध्ययन की रिपोर्ट में कहते हैं, यह भी देखा गया है कि टाइप-2 डायबिटीज वाली महिलाओं में इस रोग वाले पुरुषों की तुलना में अधिक वजन होने का जोखिम भी ज्यादा होता है। अध्ययन में शामिल औसतन महिलाएं, पुरुषों की तुलना में अधिक वजन वाली थीं।
मधुमेह के साथ मोटापा होना आपकी जटिलताओं को और भी बढ़ाने वाला हो सकता है। मोटापे के कारण उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल का जोखिम भी बढ़ने लगता है, जो समय के साथ हृदय की सेहत को नुकसान पहुंचाने लगती हैं।
महिलाओं को दिल की बीमारी
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार महिलाओं को दिल की बीमारियों के लिए ज्यादा एग्रेसिव इलाज नहीं दिया जाना चाहिए। कई महिलाओं में कार्डियक प्रक्रियाओं को लेकर भी सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। इस आधार पर अध्ययन में कहा गया है कि टाइप-2 डायबिटीज वाली महिलाओं को लिपिड कम करने वाली दवा और एंजियोटेंसिन-कन्वर्टिंग एंजाइम इनहैविटर्स दिए जाने की भी कम सलाह दी जाती है। ऐसी स्थिति में हृदय रोगों को अलग तरीकों से मैनेज करने की आवश्यकता होती है।
क्या है विशेषज्ञों की सलाह?
अध्ययन के निष्कर्ष में स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों को डायबिटीज और हृदय रोग दोनों से बचाव करते रहने की सलाह दी जाती है। यदि आप डायबिटीज के शिकार हैं तो अपने हृदय की सेहत का भी गंभीरता से ख्याल रखें। मधुमेह की फैमिली हिस्ट्री वाले, अधिक वजन-मोटापे के शिकार, निष्क्रिय जीवनशैली भी आपकी जटिलताओं को बढ़ाने वाली हो सकती है। लाइफस्टाइल और खान-पान को ठीक रखकर हृदय रोग-डायबिटीज दोनों से बचाव किया जा सकता है।