उत्तर प्रदेश में कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा की ‘तेजी’ ने समाजवादी पार्टी को हैरान-परेशान कर दिया है। कुछ समय पहले तक समाजवादी पार्टी के जो नेता यह समझ रहे थे कि अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में सपा-भाजपा के बीच सीधे टक्कर होगी, अब उन्हें डर सताने लगा है कि प्रियंका वाड्रा की ‘तेजी’ के चलते यूपी विधानसभा चुनाव में मुकाबला कहीं त्रिकोणीय नहीं हो जाए। यदि ऐसा हुआ तो समाजवादी पार्टी को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। कांग्रेस आज इस स्थिति में भले नहीं हो कि वह यूपी की सत्ता हासिल कर सके, लेकिन दूसरों का खेल बिगाड़ने की ताकत तो कांग्रेस रखती ही है। प्रियंका के चलते अगर समाजवादी पार्टी का दो-तीन प्रतिशत वोट भी इधर-उधर हो गया तो इससे सपा की 20-25 सीटें कम हो सकती हैं, जो सत्ता की बांट जोह रहे अखिलेश के लिए शुभ संकेत साबित नहीं होगा।
सपा को प्रियंका की सक्रियता से तो बेचैनी है ही इसके अलावा जिस तरह से प्रियंका महिला वोटरों को अपने पाले में खींचने में लगी हैं, उससे भी सपा नेताओं की पेशानी पर बल पड़ गए हैं। प्रियंका द्वारा पहले 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने की बात और अब उनके द्वारा छात्राओं को स्कूटी और स्मार्टफोन देने की घोषणा ने चुनाव का विमर्श ही बदल दिया है। प्रियंका लगतार यूपी में दौड़ लगा रही हैं, जहां कहीं भी उन्हें वोट बैंक की सियासत चमकाने का मौका मिलता है, वह वहां पहुंच जाती हैं। उन्नाव से लेकर हाथरस, लखीमपुर खीरी, आगरा की घटनाएं इसकी सबसे बड़ी मिसाल हैं। प्रियंका हर हादसे को महिलाओं के स्वाभिमान से जोड़ देती हैं। वहीं महिलाओं के सम्मान और महंगाई के मुद्दे के सहारे भी प्रियंका आधी आबादी के वोटरों को लुभाने और योगी सरकार को कटघरे में खड़ा करने में लगी हैं, जिस तेजी से प्रियंका बिना मजबूत संगठन होते हुए भी मीडिया से लेकर आमजन का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं, उतनी सक्रियता मजबूत संगठन होने के बाद भी अखिलेश यादव नहीं दिखा पा रहे हैं।