चीनी नौसेना की निगरानी कर रहा अमेरिका का फाइटर जेट F-35 दक्षिण चीन सागर में क्रैश हो गया। अमेरिका के इस जेट का नाम सुनकर दुश्मन भी डरकर कांपने लगते हैं। अमेरिका अपने इस विमान पर इतराता है। ऐसे में इस विमान हादसे से हैरानी तो होती है। हालांकि इस विमान हादसे में पायलट सुरक्षित है। विमान लैंडिंग के दौरान यह हादसा हुआ, पायलट ने खुद को फाइटर जेट से अलग कर अपनी जान बचाई। यह फाइटर जेट दक्षिण चीन सागर में अपने रोजमर्रा की उड़ान पर था। फाइटर जेट की दुर्घटना से अमेरिका की चिंता क्यों बढ़ी है? इस विमान की क्या खासियत है। इसके नाम से भी दुश्मनों के पसीने छूट जाते हैं।
F-35
यह अमेरिका का सबसे नया लड़ाकू फाइटर जेट है। यह दिग्गज हथियार कंपनी लॉकहीड मार्टिन द्वारा निर्मित किया गया है। यह पांचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। F-35 अपने वर्टिकल लैंड और अपने टेकऑफ की काबिलियत की वजह से खास तौर पर जाना जाता है। यह विमान किसी हेलीकॉप्टर की तरह हवा में हवा में ठहर सकता है। विमान बिना किसी रनवे के लैंड और बहुत ही छोटी जगह से टेकऑफ कर सकता है।
F-35 स्टेल्थ तकनीक से लैस है। इसी कारण यह विमान किसी भी गिरफ्त में नहीं आता। विमान के सबसे बड़ी खासियत यह है कि दुश्मन को खबर लगे बगैर उस पर हमला करने की ताकत रखता है। विमान को उड़ा रहा पायलट आधुनिक हेलमेट के कारण विमान के आर पार भी देख सकता है। इसकी वजह है विमान का आकार और इसका फाइबर मैट। इसकी वजह से यह रडार से गायब हो जाता है। अपनी इसी तकनीक की वजह से यह संकेतों को अवशोषित कर लेता है।
F-35 फाइटर जेट मशीनगन के अलावा हवा से हवा और जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस है। ये फाइटर जेट 1930 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरने की ताकत रखता है। इस तरह के एक फाइटर जेट की कीमत 31 करोड़ रुपये है। आपको बता दें यह विमान 910 किलो तक के 6 बम ले जाने की क्षमता रखता है जो दुश्मन को नेस्तनाबूत कर सकते हैं।
F-35A को कंपनी द्वारा तीन अलग-अलग माइल्स में तैयार किया गया है। इनकी अपनी अलग-अलग खूबियां है। इसमें F-35A कन्वेंशनल टेकऑफ और लैंडिंग करने में सक्षम है। इसके अलावा F-35B शार्ट ट्रिक टेकऑफ के अलावा वर्टिकल लैंडिंग भी कर सकता है। इसी कड़ी में F-35C लड़ाकू विमान को खास तौर पर एयरक्राफ्ट कैरियर की सुविधा के मुताबिक निर्मित किया गया है। इसका डिजाइन X35 की तरह ही है। यूएसए एयरफोर्स में इसको पैंथर भी कहा जाता है।
F-35 विमान को विकसित करने और इसको बनाने की प्रक्रिया में अमेरिका ही शामिल नहीं है बल्कि नाटो के दूसरे सहयोगी देश भी इसको बनाने की प्रक्रिया में फंड देने वाले देशों में शामिल है। इन देशों में ब्रिटेन, इटली, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, नार्वे, डेनमार्क, नीदरलैंड और तुर्की शामिल है। जुलाई 2019 में तुर्की को इससे बाहर कर दिया गया था। यह विमान अमेरिका के अलावा भी ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, डेनमार्क, इटली, जापान, नीदरलैंड, नार्वे, पोलैंड, दक्षिण कोरिया और तुर्की के पास है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत को भी यह विमान देने की अमेरिका पेशकश कर सकता है। अगर भारत द्वारा यह विमान खरीदा जाता है तो वह दुनिया का पहला देश बन जाएगा जिसके पास रूस की एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम और अमेरिका का F-35 विमान भी होगा। यह बात इसलिए भी अहम है क्योंकि कुछ वक्त पहले तुर्की ने एस-400 मिसाइल डिफेंस खरीदने का निर्णय लिया ऐसा करने पर अमेरिका ने उसे F-35 प्रोग्राम से बाहर कर दिया था।