लोकतंत्र सशक्तिकरण के लिए शत प्रतिशत मतदान आवश्यक

Date: 2022-01-24
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राष्ट्रीय मतदाता दिवस को 25 जनवरी के मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन साल 1950 में चुनाव आयोग की स्थापना हुई थी। भारतीय निर्वाचन आयोग या चुनाव आयोग भारत में संघ एवं राज्य के चुनाव का संचालन करता है। लोकसभा, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्य विभान सभा के चुनाव इसकी देखरेख में ही होते हैं। संविधान के अनुच्छेद 324-329 भारतीय निर्वाचन आयोग से संबंधित हैं। चुनाव आयोग के 61 वें स्थापना दिवस 25 जनवरी 2011 को तात्कालिक राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल ने 'राष्ट्रीय मतदाता दिवस' का शुभारंभ किया था। तब से हर साल 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है। 
         इस दिन मतदाता को जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। घर घर अलख जगाएंगे, मतदाता जागरूक बनाएंगे, भाषण प्रतियोगिता, हस्ताक्षर अभियान, वोटर आईडी वितरण आदि कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। भारत निर्वाचन आयोग इस साल पूरे देश में 11वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाएगा।
      लोकतंत्र की जड़ मतदाता है। हमारा देश संसार के जनतांत्रिक देशों में सबसे बड़ा है क्योंकि हमारे यहाँ मताधिकार प्राप्त नागरिकों की संख्या विश्व में सबसे बड़ी है। हम एक लोकतांत्रिक देश के स्वतंत्र नागरिक है। लोकतांत्रिक प्रणाली के तहत जितने अधिकार नागरिकों को मिलते हैं, उनमें सबसे बड़ा अधिकार है वोट देने का अधिकार। इस अधिकार को पाकर हम मतदाता कहलाते हैं।   
        सभी मतदाताओं को बिना किसी भय और दबाव के मतदान करना चाहिए। चुनाव सरकार और शासन को संबैधानिक वैधता प्रदान करते हैं। अत: स्वयं सिद्ध बात हुई कि लोकतंत्र की जड़ मतदाता है। मतदाताओं को निर्भय होकर मतदान करना चाहिए। भय, पक्षपात, स्वार्थ, लालच या दबाव में मतदान न करें। मतदाता को लोकतंत्र की रक्षा, क्षेत्र के विकास और संविधान-प्रदत्त अधिकारों के लिए मतदान के दिन मतदान अवश्य करने जाना चाहिए। मतदान 18 वर्ष उम्र से सभी भारतीयों का संवैधानिक अधिकार है। "एक वोट से होती जीत हार, वोट न जाये बेकार" भावना को जागृत करना चाहिए।
       उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। विधान सभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। निर्वाचन आयोग, सरकार से लेकर राजनीतिक दल और प्रत्याशी चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं। लेकिन किसी भी लोकतांत्रिक देश में सरकार बनाने में सबसे बड़ी भूमिका मतदाताओं की होती है। मतदाता अपने बहुमूल्य वोट से दल विशेष को पांच साल के लिए सत्ता में लाती है और देश व राज्य के विकास के लिए एक नागरिक होने के अपने कर्तव्य को पूरा करती है।
       एक मजबूत लोकतंत्र के लिए आवश्यक है कि शत प्रतिशत मतदान हो। किन्तु प्रायः देखा जाता है कि भारत में शत-प्रतिशत मतदान नहीं होता है। मतदाताओं का एक बड़ा भाग करीब 40 से 60% तक मतदान में भाग नहीं लेता है। यह एक अजीब विडंबना है कि लोग अपने मताधिकार का प्रयोग कर अपने कर्तव्य मतदान का पालन नहीं करते हैं। आखिर वे कौन से कारण है जिसके चलते इतनी बड़ी संख्या में मतदाता मतदान में भाग नहीं लेते हैं?  इन कारणों को जानने का कोई गंभीर प्रयास आज तक नहीं किया गया है। लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिए इन कारणों को जानना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए चुनाव के उपरांत एक सर्वे कराया जाना चाहिए। इस प्रकार जो आंकड़ों का संग्रह होगा जिसके विश्लेषण द्वारा निम्न प्रतिशत मतदान के कारणों को सुनिश्चित किया जा सकेगा। इस सर्वे का कोई तत्कालीन नहीं बल्कि दूरगामी में परिणाम होगा। भविष्य में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने में कई रूप में सहायक होगा। चुनाव सुधार के संबंध में कुछ ऐसे कदम है, जो आसानी से उठाए जा सकते हैं। इनका परिणाम व्यापक और दुरगामी होगा। यह भारतीय लोकतंत्र के सशक्तिकरण की दिशा में एक सार्थक प्रयास होगा।
 भारत में मतदान को अनिवार्य किया जाना संभव नहीं है। अतः कोई अप्रत्यक्ष उपाय कारगर सिद्ध हो सकता है। मतदाताओं की संख्या में भारी वृद्धि से निपटना चुनाव आयोग के लिए एक चुनौती है। इसके लिए भविष्य में मतदान की ऑनलाइन प्रणाली विकसित किया जाना चाहिए। 
 भारत में केवल मतदान द्वारा शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता का हस्तांतरण होना, केंद्र एवं राज्यों में अलग-अलग राजनीतिक दलों एवं गठबंधन की सरकार होने के बावजूद देश की एकता और अखंडता अक्षुण्ण बनाए रखना, इस बात का अकाट्य प्रमाण है कि लोकतांत्रिक मूल्यों में भारतवासियों का विश्वास और निष्ठा कितनी अटूट है।

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