कहीं जहरीले नमक का सेवन तो नहीं कर रहे आप? दावा- ज्यादातर पैक्ड नमक में हो सकते हैं कैंसरकारक तत्व

Date: 2023-11-20
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नमक हमारे दैनिक आहार का प्रमुख हिस्सा है, इससे सोडियम और आयोडीन जैसे शरीर के लिए अतिआवश्यक पोषक तत्व प्राप्त होते हैं जो शरीर को ठीक से कार्य करने के लिए जरूरी है। हालांकि एक हालिया अध्ययन में बड़ा दावा किया गया है कि भारत में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर टॉप ब्रॉन्ड के नमक में बहुत हानिकारक तत्व हो सकते हैं, इतने कि इनसे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। 


अमेरिकी प्रयोगशाला की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बेचे जाने वाले प्रोसेस्ड आयोडीन युक्त नमक के प्रीमियम ब्रांडों में कथित तौर पर कार्सिनोजेनिक और पोटेशियम फेरोसाइनाइड जैसे हानिकारक घटक हो सकते हैं। ये सेहत के लिए इतने खतरनाक हो सकते हैं कि अगर लंबे समय तक इनका सेवन किया जाता रहे तो इसके कारण कैंसर तक का भी खतरा हो सकता है। विशेषतौर पर कार्सिनोजेन, डीएनए को क्षति पहुंचाकर कैंसर कोशिकाओं के विकास का कारण बन सकती हैं। इससे एक या अधिक प्रकार के कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है। 

नमक में पाए गए पोटेशियम फेरोसाइनाइड
गोधूम ग्रेन्स एंड फार्म्स प्रोडक्ट्स के अध्यक्ष शिव शंकर गुप्ता ने एक विज्ञप्ति में बताया कि अमेरिकन वेस्ट एनालिटिकल लेबोरेटरीज के परीक्षण में पाया गया है कि देश में टॉप ब्रॉन्ड्स के रिफाइंड नमक में खतरनाक रूप से 4.71 मिलीग्राम/किग्रा जितना अधिक स्तर पर ये हानिकारक तत्व हो सकते हैं। पोटेशियम फेरोसाइनाइड को रसायन की भाषा में 'घातक जहर' माना जाता है। डॉ गुप्ता कहते हैं, पोटेशियम फेरोसाइनाइड को खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल की अनुमति नहीं है। 

ब्लड प्रेशर से लेकर कैंसर तक का खतरा
गुप्ता ने आरोप लगाया कि भारत में प्रमुख नमक निर्माताओं द्वारा जहरीले साइनाइड यौगिकों का उपयोग किया जा रहा है। नमक में प्राकृतिक रूप से पहले से मौजूद आयोडीन को दोबारा कृत्रिम रूप से भी मिलाया जाता है, जिससे यह जहरीली हो सकती है। अग्रणी कंपनियां आयोडीन और साइनाइड जैसे खतरनाक रसायनों से भरे औद्योगिक कचरे को दोबारा पैक कर रही हैं।

इस तरह के खतरनाक चीजों का सेवन करने से कैंसर, हाइपरथायरायडिज्म, उच्च रक्तचाप, नपुंसकता, मोटापा, किडनी फेलियर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है। जाने-अनजाने हम में से अधिकतर लोग इसकी चपेट में हैं।

क्या कहती हैं भारतीय कंपनियां?
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद देश की अग्रणी नमक बिक्रेता कंपनियों की तरफ से भी बयान आने शुरू हो गए।

टाटा साल्ट ब्रांड बनाने वाली टाटा केमिकल्स ने बुधवार को कहा कि उसका नमक उपयोग के लिए "सुरक्षित और हानिरहित" है। कंपनी ने कहा कि भारत सहित अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों ने नमक में पोटेशियम फेरोसायनाइड के इस्तेमाल की अनुमति दी है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा अनुमत स्तर सबसे कम 10 मिलीग्राम/किग्रा है। पोटेशियम फेरोसायनाइड को 14 मिलीग्राम/किग्रा के स्तर पर उपभोग के लिए सुरक्षित घोषित किया है। हमारा नमक इन मानकों का पूरी तरह से पालन करता है। 

नमक में पोटेशियम फेरोसायनाइड की जरूरत
इस बहस के बीच सबसे बड़ा सवाल ये है कि टेबल सॉल्ट में आखिर पोटेशियम फेरोसायनाइड जैसे एजेंट्स की क्या आवश्यकता है?

रिपोर्ट्स से पता चलता है कि पोटेशियम फेरोसाइनाइड (K4[Fe(CN)6]) मिलाने से नमक को जमने और गांठ बनने से रोकने में मदद मिलती है। हालांकि इसके डीकंपोजर की अधिकता मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक है। भारतीय नमक बिक्रेताओं का दावा है कि उनके ब्रॉन्ड, पोटेशियम फेरोसायनाइड की सुरक्षित मात्रा को प्रयोग में ला रहे हैं।


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